
भारत के कई राज्यों में मानसून अब मेहमान नहीं, मुसीबत बन गया है। बादल मानो नाराज़ होकर “बदला बरसाने” निकले हैं — और प्रशासन… बस WhatsApp पर फॉरवर्ड भेजने में व्यस्त है।
दिल्ली: राजधानी बनी ‘जलधानी’
दिल्ली वालों को आज ITO से ऑफिस नहीं, सीधा नाव से “Home Boat” वर्किंग करना पड़ा। आधे घंटे की बारिश में ही दिल्ली ऐसा डूबी, जैसे मेट्रो को छोड़कर मछलियों के लिए बन गई हो।
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सफदरजंग अस्पताल में मरीजों के साथ-साथ पानी का भी इलाज चल रहा है।
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IMD ने येलो अलर्ट जारी किया, पर नगर निगम ने शायद ईमेल नहीं पढ़ा।
सड़क पर कार नहीं, गुब्बारे ही तैरते दिखे।
हिमाचल: बादल फटा, सड़कें गायब
हिमाचल के मंडी जिले में बादल फटते ही ऐसा लगा कि पहाड़ खुद रोने लगे।
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जेल रोड पर पानी नहीं, सीधा सैलाब आया।
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मंडी-जोगिंदरनगर हाईवे से गाड़ियां नहीं, मलबा बहता मिला।
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15 से ज्यादा गाड़ियां धँसी, ड्राइवर बोले: “हम तो बस पार्किंग खोज रहे थे!”
रेड अलर्ट है, लेकिन टूरिस्ट अब रिस्क एडवेंचर टूर समझकर रील बना रहे हैं।
बिहार: पटना में नाव चलाओ योजना शुरू!
पटना में सिर्फ लोगों के पैर ही नहीं, सरकार की सोच भी पानी में डूबी है।

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कंकरबाग, राजेन्द्र नगर, न्यू मार्केट – सब जगह घुटनों तक पानी।
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रेफरल अस्पताल में मरीज बोले: “हम इलाज करवाने आए थे, अब तैरना भी सीख गए।”
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दुकानदारों ने दुकान बंद कर दी, और अब छाता बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं।
मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट दिया, पर जनता बोले: “अब त सब दिने अलर्ट में बानी!”
और राज्यों का हाल?
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राजस्थान: स्कूल बंद, बच्चे बोले – “अब असली छुट्टी मिली!”
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पंजाब-हरियाणा: सुबह-सुबह बारिश और चाय, बस ऑफिस कैंसिल नहीं हुआ, वरना मस्त लाइफ थी।
जब बारिश पूछे – “आपका प्लान B क्या है?”
देश में मानसून अब सिर्फ मौसम नहीं, एक इवेंट है – और सरकार इसका स्पॉन्सर बन गई है। हर साल की तरह इस बार भी:
“प्रशासन ने कहा – हम स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं!”
जनता ने कहा – “तब तक नाव बनाते हैं।”
तेज प्रताप यादव के बगावत भइल खुल के! अब RJD में जयचंद के खोज शुरू